+91 8679200111
hasguru@gmail.com

प्राचीन हिमाचल

(i) प्रागैतिहासिक काल-
हिमालयी क्षेत्र में पूर्व-ऐतिहासिक व्यक्ति के अस्तित्व के कई प्रमाण हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि दो मिलियन साल पहले कम से कम एक प्रकार की प्रजाति का आदमी हिमाचल की तलहटी में रहता था, यह कांगड़ा के ब्यास घाटियों की बानगंगा-ब्यास, नालागढ़-बिलासपुर की सिरसा-सतलुज घाटियों और सिरमौर की मारकंडा घाटी से घिरा हुआ क्षेत्र था
शिवालिक तथा हिमालय की पहाड़ियों में पाषाण युग के बहुत से अवशेष प्राप्त हुये हैं। शिमला की पहाड़ियों के आँचल में स्थित नालागढ़ में औलाफ प्रुफर ने 1951 में सतलुज की सहायक नदी सिरसा के दायीं ओर के भाग में हिमालयोत्तर स्थानों का पता लगाया। वहाँ पर मध्य और ऊपर के स्तरों में रंगीन पत्थरों के औजार मिले हैं। इन औजारों में गोल पत्थरों के औजार अधिक सुदृढ़ हैं पत्थरों के औजार नदी तट के गोल पत्थरों के बनाये हुए हैं और इनमें अधिकतर खुरपे आदि लकड़ी काटने के औजारों की आकृति के हैं। बी.बी. लाल ने 1955 में कांगड़ा जिले के देहरा व गुलेर में की गई खुदाई से संबंध रखता है। हिमाचल प्रदेश में मानव के आरंभिक पहचान योग्य अवशेष 1955 ई में पाए गए।1955 में बी.बी. लाल और जी.सी. महापात्रा ने पत्थर के हथियार वर्ष खोजे।मारकण्डा और सिरसा- सतलुज घाटी में पाए गए औजार चालीस हजार वर्ष पुराने है। हिमाचल प्रदेश का प्रागैतिहासिक काल मध्य एशिया से आर्यों तथा भारत के मैदानी इलाकों से पहाड़ों पर लोगों के बसने का इतिहास प्रस्तुत करता है।
भारत के मैदानों से आकर बसने वाले लोगों से पूर्व कोल जिन्हें आज कोली, हाली, डोम और चनाल कहा जाता है, सम्भवतः हिमाचल के प्राचीनतम निवासी हैं

(ii) वैदिक काल और खस-
ऋग्वेद में हि. प्र. के प्राचीन निवासियों का दस्य, निषाद और दशास के रूप में वर्णन मिलता हैदस्यु राजा ‘शाम्बर’ के पास यमुना से ब्यास के बीच की पहाड़ियों में 99 किले थे। ॠग्वेद के अनुसार दस्यु राजा शाम्बर आर्य राजा दिवोदास के बीच 40 वर्षों तक युद्ध हुआ। अंत में दिवोदास ने उदब्रज नामक स्थान पर शाम्बर का वध कर दिया। मंगोलोयड जिन्हें भोट और किरात’ के नाम से जाना जाता है, हिमाचल में बसने वाली दूसरी प्रजाति बन गई। ये लोग हिमाचल के ऊपरी क्षेत्रों में बस गये। आर्य या ‘खस’ हिमाचल में प्रवेश करने वाली तीसरी प्रजाति थी। खसों के सरदार को ‘मवाना’ कहा जाता था। ये लोग खुद को क्षत्रिय मानते थे। समय के साथ ये खस समूह ‘जनपदों’ में बदल गये। बैदिक काल में पहाड़ों पर आक्रमण करने वाल दूसरा आर्य राजा सहस्रार्जुन था, जिसने जमदग्नि ऋषि की गायें छीन ली थीं जमदग्नि के पुत्र परशुराम ने सहस्रार्जुन का वध कर दिया। परशुराम के डर से क्षत्रिय खस ऊपरी भू-भागों में आकर बस गए और मवाणा राज्यों की स्थापना की। खशों का नाग जाति पर विजय का पता यहाँ पर प्राचीन काल से मनाये जा रहे भुण्डा नामक उत्सव से लगता है। उत्तर वैदिक काल में बहुत से साधु-संतों ने हिमाचल को अपनी कर्मभूमि बनाया- रेणुका से जमदग्नि, मणिकर्ण से वशिष्ठ, निर्मण्ड से परशुराम और बिलासपुर में व्यास गुफा से ऋषि व्यास सम्बन्धित हैंऋषि भारद्वाज आर्य राजा दिवोदास के मुख्य सलाहकार थे
(iii) महाभारत काल और चार जनपद-
महाभारत काल के समय त्रिगर्त के राजा सुशर्मा ने महाभारत युद्ध में कौस्वों की सहायता की थी। कश्मीर, औदुम्बर और त्रिगर्त के शासक युधिष्ठिर को कर देते थे। कुलिन्द रियासत ने पाण्डवों की अधीनता स्वीकार की थी कुल्लू की कुलदेवी राक्षसी देवी हिडिस्बा का भीम से विवाह हुआ था। महाभारत में 4 जनपदों त्रिगर्त, औदुम्बर, कुलुटा और कुलिन्द का विवरण मिलता है

Leave a Reply