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हिमाचल प्रदेश की झीलें

हिमाचल प्रदेश की झीलें (hpexams.in)

हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों प्रकार की झीलें विद्यमान हैं। यहाँ की प्रमुख झीलें इस प्रकार हैं-
जिला चम्बा–
(1) मणिमहेश झील भरमौर (Manimahesh Lake)- यह झील चम्बा से 100 किमी की दूरी पर भरमौर उपमण्डल में स्थित है। इस झील की समुद्रतल से ऊँचाई 3950 मीटर है। इस झील का अनुमानित व्यास एक किमी है। यहाँ हर वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर श्रद्धालु मणिमहेश यात्रा पर आते हैं।
(2) खजियार झील डलहौजी (Khajjiar Lake)-
यह झील चम्बा से 27 किमी दूर डलहौजी उपमण्डल में स्थित है। यहाँ खज्जीनगर या खजियार नाग का मन्दिर है। यह झील समुद्रतल से 1951 मीटर की ऊँचाई पर है। इस झील के अनुपम सौन्दर्य के कारण खजियार को हिमाचल का मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से भी जाना जाता है। यह झील 1.5 किमी लम्बी और 1 किमी चौड़ी है। यह विश्व का 160 वां स्थान है जिसे मिनी स्विट्जरलैंड का दर्जा दिया गया है।
(3) लामा डल झील (Lama Dal Lake)-
यह झील भरमौर उपमण्डल में है। यह समुद्रतल से 3962 मीटर की ऊँचाई पर है। लामा डल झील सात झीलों का समूह है। इस झील समूह का कुल क्षेत्रफल लगभग 32 हैक्टेयर है। यह झील समूह नाग डल और नाग छतरी डल के नाम से जाना जाता है। इस समूह में लामा डल झील का व्यास 2 किलोमीटर है। यह झील धौलाधार पर्वत श्रृंखला में पड़ती है। यहाँ एक छोटा-सा शिव मन्दिर है।
(4) चन्द्रकूप ताल (Moon Lake)-
यह झील 3450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह झील वर्ष भर बर्फ से ढकी रहती है। गर्मियों में इस झील में बर्फ के टापू तैरते हुए दिखाई देते हैं।
(5) घडासरू महादेव झील चुराह (Gudasaru Lake)- यह झील समुद्रतल से लगभग 3505 मीटर की ऊँचाई पर है। इस झील की परिधि लगभग एक किमी है। इस झील के किनारे काली माता का मन्दिर है।
(6)महाकाली झील (Mahakali Lake)-
यह झील 3657 मीटर की ऊंचाई पर चुराह घाटी में पड़ती है। यह झील काली माता से सम्बधित है।
(7) खुण्डी मराल झील चुराह (Khundi Mral Lake)- यह झील चुराह घाटी के खुण्डी मराल चांजू पंचायत में है। यह झील समुद्रतल से 4355 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह झील भगवती काली के नाम से विख्यात है। यह झील 3 हैक्टेयर क्षेत्र में फैली है।
(8) मैहलनाग डल झील चुराह (Mahalnaag Dal Lake)-
यह झील चम्बा जिला की चुराह घाटी वे मैहलवार धार पर स्थित है। यह झील नाग देवता के नाम से विख्यात् है।
(9) बैसाखी चामुण्डा डल झील, चुराह (Baisakhi Chamunda Lake)-
यह झील चम्बा जिला की एंथली जोत पर चुराह घाटी में पड़ती है।
(10) कालीका डल झील (Kalika Dal Lake)-
यह झील नोसराधार पर चुराह घाटी में पड़ती है।

जिला काँगड़ा-
(1) डल झील, कांगड़ा (Dal Lake)-
यह भागसूनाथ झील के नाम से प्रसिद्ध है यह झील धर्मशाला से 11 किमी की दूरी पर धौलाधार पर्वत श्रृंखला में स्थित है। यह समुद्रतल से 1775 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इसका व्यास 2 हैक्टेयर है। इस झील के उत्तरी तट पर भगवान ध्रूमेश्वर का मन्दिर है जिसका निर्माण ऋषि अगस्त्य ने बनाया थायहां पर राधा अष्टमी का मेला लगता है।
(2) करेरी झील, कांगड़ा (Kareri Lake)-
यह झील धर्मशाला से 35 किमी की दूरी पर स्थित है। यह झील समुद्रतल से 1810 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसका व्यास 3.5 हैक्टेयर है। इस झील के किनारे पर भी शिव मन्दिर है। यह हरे घास के मैदान, ओक और देवदार के पेड़ों से घिरी हुई है। इसका पानी लयूण नदी में गिरता है।
(3) मछियाल झील (Machhiyal Lake)-
जिला कांगड़ा के ममूटा गाँव मे स्थित माछियल झील लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र है। नगरोटा बगवाँ से मात्र 2 km की दूरी पर जौगाल खड्ड मे स्थित प्राकृतिक मछियल झील के एक और माँ संतोषी का मंदिर है तो दूसरी और प्राचीन माछिद्र महादेव का मंदिर प्रयटकों को आकर्षित करता है। ऐसी मान्यता है की यह भूमि माचिन्द्र नाथ की तपो स्थली रही है। जिस स्थान पर बैठ कर उन्होंने तपस्या की थी, उसी स्थान पर माचिन्द्र महादेव के मंदिर की स्थापना हुई है। मंदिर के साथ की पवित्र माछियल झील है,जिसमे प्राचीन समय से ही भारी संख्या में बड़ी-बड़ी मछलियाँ रहती हैं।

जिला मण्डी–
(1) रिवालसर झील, मण्डी (Rewalsar Lake)-
यह झील बौद्ध, हिन्दू और सिक्ख तीन धर्मों की त्रिवेणी के नाम से प्रसिद्ध है। यह झील समुद्रतल से 1360 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ प्रसिद्ध बौद्ध मेला छेशू मनाया जाता है। रिवालसर झील को तिब्बती समुदाय में “छो पद्मा” के नाम से जाना जाता है। सन् 1685 ई. को गुरु गोविन्द सिंह रिवालसर झील देखने गए थे। बौद्ध धर्म के लोगों में यह झील पद्माकन नाम से प्रसिद्ध है। ऋषि लोमस ने यहां शिव की आराधना की थी। बौद्ध भिक्षु पद्मसम्भव भी इसी स्थान से जुड़े थे। इस झील को तैरते टापू की झील भी कहा जाता है। इस झील का व्यास 3 हैक्टेयर है।
(2) पराशर झील, मण्डी (Parashar Lake)-
महर्षि पराशर के नाम से प्रसिद्ध यह झील समुद्रतल से 2743 मीटर की ऊँचाई पर है। यह झील मण्डी से 30 किमी की दूरी पर है। इस झील के साथ पराशर ऋषि का पैगोडा शैली में बना भव्य मन्दिर है। इस झील की परिधि लगभग आधा किमी अर्थात् एक हैक्टेयर है। इस झील में एक टापू स्थित है।
(3) कुमरवाह झील (Kumarwah Lake)- कुमरवाह झील कामरू देवता के नाम से प्रसिद्ध है। यह झील मण्डी से 40 किमी की दूरी पर है। कामरू देवता का मण्डी के चच्योट में अधिराज्य स्थापित है। यह झील मण्डी जिला की चच्योट तहसील में है। यह झील समुद्रतल से 3150 मीटर की ऊँचाई पर है। इस झील में सोने चांदी के सिक्के अर्पित किए जाते हैं।
(4) सुखसरझील, मण्डी (Sukhsar Lake)- यह झील रिवालसर कस्बे की चोटियों पर समुद्रतल से 1760 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
(5) कुंत भयोग झील (Kunt Bhayaog Lake)-
यह झील रिवालसर के ऊपर पहाड़ी में 1700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसे कुुंती की प्यास बुझाने के लिए अर्जुन तीर मार कर निकाला था।
(6) कालासर झील (Kalasar Lake)-
यह झील रिवालसर के ऊपर पहाड़ी में 1755 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। सर्दियों में यहां बर्फ भी गिरती है।
(7) मच्छयाल झील (Machhyal Lake)-
जोगिन्दरनगर शहर से आठ किलोमीटर दूर एक पवित्र झील है जो मछलियों के देवता मछिन्द्र नाथ को समर्पित है. यह पवित्र झील मच्छयाल यानि “मछलियों की आल” के नाम से जानी जाती है. ताज़ा पानी की बहती रणा-खड्ड पर बनी यह झील स्थानीय लोगों की आस्था का मुख्य केंद्र है। लोग यहाँ मच्छलियों की पूजा अर्चना कर आटा खिलाते हैं। खास धार्मिक अवसरों के अलावा शनिवार और मंगलवार को लोग यहाँ विशेष तौर पर आटा खिलाने के लिए आते हैं। झील के ठीक ऊपर की ओर मछलियों के भगवान मछिंद्रनाथ का एक बहुत ही सुन्दर मन्दिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु के मत्स्यावतार को समर्पित है।

जिला कुल्लू-
(1) भृगु झील, कुल्लू (Brigu Lake)-
यह झील विशिष्ट गांव के समीप समुद्रतल से 4235 मीटर की ऊँचाई पर मनाली से 10 किमी की दूरी पर स्थित है। इस झील का ब्यास 3 हैक्टेयर है। यह एक भव्य पर्यटक स्थल है। यह झील शुक्र के पिता महर्षि भृगु के नाम से प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता कि इस झील में हर वर्ष 20 भादों को देवी-देवता स्नान के लिए आते हैं।
(2) दशहर झील (Dusher Lake)- यह झील भी मनाली के समीप रोहतांग दर्रे पर स्थित है। यह झील समुद्रतल से 4200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। पर्यटन की दृष्टि से भृगु तथा दशहर दोनों झीलें महत्त्वपूर्ण हैं । दशहर झील का व्यास 4 हैक्टेयर है। इस झील का पानी पीने से शारीरिक कष्ट दूर होते हैं और इस झील के पानी से अकबर की बेटी का अधरंग भी दूर हुआ था।
(3) सरयोलसर झील (Sareul Sar Lake)-
यह झील जलोड़ी दर्रे से 5 किमी दूर है। मान्यता है कि इस झील में क्षेत्र की आराध्य देवी बूढ़ी नागिन वास करती है। इस झील की सफाई का जिम्मा एक चिड़िया आभी ने संभाल रखा है।
(4) नैनसर झील (Nansar Lake)-
यह झील बाहरी सिराज में भीम द्वार और श्रीखण्ड पर्वत के बीच स्थित है। इस झील की समुद्रतल से 4000 मीटर की ऊँचाई है।
(5) मानतलाई झील (Mantalai Lake)-
यह झील पिन पार्वती घाटी में समुद्रतल से 4116 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इसका व्यास 3 हैक्टेयर है। इस झील से पार्वती नदी का उद्गम होता है
(6) सरीताल झील (Sarital Lake)-
यह सरीजोत पर स्थित 14000 फुट की ऊंचाई पर है। इसके निकट से सरवरी नदी निकलती है।
(7) हंसा झील (Hansa Lake)-
ये दो झीलें आस-पास हैं जो हंस के जोड़े की तरह दिखाई देती हैं। यह बंजार से पांच किमी दूर है।
(8) सरवालसर झील, कुल्लू (Servalsar Lake)-
यह झील जलोड़ी जोत से लगभग 5 कि.मी. की दूरी पर समुद्रतल से 3100 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस झील की परिधि लगभग 0.5 हैक्टेयर है। यह झील बंजार उपमण्डल में पड़ती है।
(9) दयोरी झील (Dayori Lake)-
यह झील सैंज घाटी में स्थित है।
(10) श्रृंग्टिंगु झील (Shringtingu Lake)-
यह 4200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस जगह से बड़ा भंगाल का दृश्य देख सकते हैं।
(11) बरदोंसर झील (Barandosar Lake)-
यह झील 5500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह झील डोडरा क्वार एवं सांगला के मध्य स्थित है।
(12) डैहनासर झील (Daihnasar Lake)-
डैहनासर जिला कांगड़ा व कुल्लू के मध्य में पावन स्थल है। यह झील समुद्र तल से लगभग 15000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। जिला मंडी के उपमंडल जोगिंदर नगर से 40 किलोमीटर दूर पर्यटक स्थल बरोट से 7 किलोमीटर दूर लोहारडी तक सड़क मार्ग है उसके बाद पैदल जाना पड़ता है, दूसरा पैदल रास्ता थल्टूखोड़ नामक स्थान से है। यहां घुघु बाण नामक पौधा भी पाया जाता है। यह स्थान भगवान शिव और पार्वती से जुड़ा हुआ है। यहां पर श्रद्धालु पवित्र स्नान करने के लिए आते हैं।

जिला लाहौल-स्पीति-
(1) चन्द्रताल झील (Chandratal lake)-
यह झील चन्द्र नदी के चन्द्रताल में मिलने पर बनती है। लाहौल और स्पीति को जोड़ने वाले कुंजम दर्रे से चन्द्रताल झील 13 किलोमीटर दूर है। बारालाचा उद्गम स्त्रोत से लगभग 80 कि.मी. का सफर तय करने के बाद चन्द्रा नदी चन्द्र डल झील में मिलती है। यह झील समुद्रतल से 4270 मीटर की ऊँचाई पर है। इस झील का व्यास 49 हैक्टेयर है। भारत की पांच झीलों पर बने डाक टिकटों में हिमाचल की चन्द्रताल झील भी शामिल है। इस झील को चीनी यात्री ह्वेनसांग ने लोहित्य सरोवर का नाम दिया था। यह झील Lake of Moon के नाम से भी जानी जाती है।
(2) सूरजताल झील (Suraj Tal)-
बारालाचा से निकलने के बाद भागा नदी सूरजताल झील का निर्माण करती है। यह समुद्रतल से 4800 मीटर की ऊंचाई पर है। यह झील 3 हैक्टयर में फैली हुई है। यह झील लाहौल उपमण्डल में बारालाचा दर्रे से नीचे पर्वतीय तट पर पड़ती है। बारालाचा दर्रा मनाली- लाहौल- लेह- लद्दाख सड़क को जोड़ता है। इस सड़क पर से सूरजताल झील का रमणीय नजारा देखने को मिलता। यह झील Lake of Sun के नाम से भी जाना जाता है।
(3) धनकर झील (Dhankar Lake)-
यह झील लाहौल-स्पीति के स्पीति उपमण्डल में स्थित है। यह झील धनकर मठ के ऊपर स्थित है
(4) नीलकंठ झील (Neel Kanth Lake)-
यह झील नैनगाहर घाटी में है। यह मनाली से लगभग 140 किमी की दूरी पर स्थित है। यह समुद्र तल से 3900 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। लाहौल घाटी की यह झील 6 मास तक बर्फ में ढकी रहती है। केवल पुरुष ही इस झील के दर्शन कर सकते हैं। महिलाओं के जाने पर धार्मिक वर्जना की वजह से मनाही है।
(5) दीपकताल झील (Deepaktal Lake)-
यह झील सूरजताल झील से 200 मीटर की अधिक ऊंचाई पर स्थित है।
(6) यूनाम-सो झील (Una-so Lake)-
यह झील लाहौल-स्पीति में स्थित है।
(7) त्सोमुरारी झील (Tsomurari Lake)-
यह झील एक अन्तःस्थलीय समुद्र के समान है।

जिला शिमला-
(1) चन्द्रनाहन झील, रोहडू (Chandranahan Lake)- यह झील रोहडू उपमण्डल की चांसल नामक घाटी में समुद्रतल से 4267 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह झील पब्बर नदी का उद्गम स्त्रोत भी है। इस स्थान को चारमाई ताल भी कहते हैं। इस झील का व्यास एक हैक्टेयर है।
(2) तानु जुब्बल झील, नारकण्डा (Tanu Jubbal Lake)- यह झील शिमला से 68 किमी की दूरी पर स्थित है। यह झील प्रमुख पर्यटक स्थल हाटू के समीप है। यह झील समुद्रतल से 2708 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
(3) गढ़ कुफर झील (Garh Kufar lake)-
यह झील शिमला में स्थित है।
(4) कराली झील (Karali Lake)-
यह झील शिमला में छोटा शाल्ली पहाड़ी पर स्थित है। यह झील गंदे पानी से भरी हुई है। इसके अलावा बराडसर (रोहडू), खड़साली (चिडगांंव), गढ़कुफर (ठियोग) आदि शिमला की झीलें है।

(5) बरादोनसर झील- बरादोनसर झील शिमला के डोडरा क्वार और किन्नौर के सांगला के बीच 5500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस झील का घेरा 1 किमी है।

जिला किन्नौर-
(1) नाको झील, पूह (Nako Lake)-
यह झील पूह उपमण्डल में हंगरंग घाटी में स्थित है। यह झील समुद्रतल से 3,662 मीटर की ऊंचाई पर है। इस का व्यास एक हैक्टेयर है। नाको झील भाइस्यीन (तिब्बत) की सीमा विभाजक पर्वत श्रृंखला रियो पराजियल (6816 मीटर) की पश्चिमी ढलान पर है। इसी उच्च शिखर को भगवान पराजियल का वास भी बताया जाता हैयह झील स्केटिंग के लिए प्रसिद्ध है।
(2) सोरंग झील (Sorang Lake)-
यह झील किन्नौर जिले में स्थित है।

जिला सिरमौर-
(1) श्री रेणुका जी झील (Ranuka Lake)-
यह झील समुद्रतल से 660 मीटर की ऊंचाई पर नाहन उपमण्डल से 45 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह हिमाचल की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील है। विश्व की प्राकृतिक झीलों की गणना में रेणुका झील तेरहवें स्थान पर है। इसका आकार सोती हुई महिला की तरह है। इस झील का व्यास लगभग 5 हैक्टयर है। इसका सम्बन्ध ऋषि जमदग्नि की पत्नी रेणुका से है। यह झील हिमाचल प्रदेश का एकमात्र ऐसा देवस्थल है, जहां देवोत्थान एकादशी (कार्तिक मास) से पांच दिन तक अन्तर्राष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेला मनाया जाता है। यह पृथ्वी की पपड़ी में निर्मित अवसाद में निहित है।
(2) सुकेती झील (Suketi Lake)-
यह झील सिरमौर में सुकेती जीवाश्म पार्क के निकट है।

कृत्रिम झील –
(1) गोविन्द सागर झील, बिलासपुर (Govind Sagar Lake) यह हिमाचल के बिलासपुर जिले से सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है। यह झील भाखड़ा बांध निर्माण के कारण अस्तित्व में आई है। यह झील लगभग 1687 हैक्टेयर भूमि पर फैली हुई है। इस झील की अनुमानित लम्बाई 88 कि. मी. है और क्षेत्रफल 168 वर्ग किमी है। यह कृत्रिम झील समुद्रतल से 673 मीटर की ऊँचाई पर है। इस झील का नाम सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह जी के नाम पर रखा गया है।
(2) पौंग झील, कांगड़ा (Pong Lake)- यह झील समुद्रतल से 430 मीटर की ऊंचाई पर है। यह झील ब्यास नदी पर महाराणा प्रताप सागर बांध बनने के कारण अस्तित्व में आई हैयह झील 42 किमी लम्बी है। इस कृत्रिम झील का व्यास 21721 हैक्टेयर है।
(3) पण्डोह झील, मण्डी (Pandoh Lake)- यह कृत्रिम झील पण्डोह नामक स्थान पर ब्यास नदी पर बांध बनने के कारण अस्तित्व में आई है। ब्यास नदी के जल प्रवाह को नहरों व सुरंगों द्वारा पण्डोह के समीप सलापड़ नामक स्थान पर सतलुज नदी के साथ मिलाया गया है। यह हिमाचल की सबसे छोटी कृत्रिम झील है। इसकी लम्बाई 14 किमी. है।
(4) चमेरा झील, चम्बा (Chamera Lake)- यह झील रावी नदी पर चमेरा बांध के बनने पर अस्तित्व में आई है। यह कृत्रिम झील समुद्रतल से 892 मीटर की ऊँचाई पर है।

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