भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अधीन कार्यरत भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey of India- FSI) का 16वाँ द्विवार्षिक आकलन है।
वर्तमान ISFR में ‘वनों के प्रकार एवं जैव-विविधता’ (Forest Types and Biodiversity) नामक एक नए अध्याय को जोड़ा गया है जिसके अंतर्गत वृक्षों की प्रजातियों को 16 मुख्य वर्गों में विभाजित कर उनका ‘चैंपियन एवं सेठ वर्गीकरण’ (Champion & Seth Classification), 1968 के आधार पर आकलन किया जाएगा।
मुख्य बिंदु—
देश में वनों एवं वृक्षों से आच्छादित कुल क्षेत्रफल 8,07,276 वर्ग किमी. है जो कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 24.56% है।
कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का वनावरण क्षेत्र 7,12,249 वर्ग किमी. है जो कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 21.67% है।
कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का वृक्षावरण क्षेत्र 95,027 वर्ग किमी. है जो कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 2.89% है।
ISFR 2017 की तुलना में वर्तमान आकलन के अंतर्गत वन क्षेत्र में वृद्धि देखी गई है।
वनावरण और वृक्षावरण क्षेत्रफल में कुल 5,188 वर्ग किमी. (0.65%) की वृद्धि हुई है।
वनाच्छादित क्षेत्रफल में वृद्धि – 3,976 वर्ग किमी. (0.56%)
वृक्षों से आच्छादित क्षेत्रफल में वृद्धि – 1,212 वर्ग किमी. (1.29%)
वर्ष 2017 के पिछले आकलन की तुलना में रिकॉर्डेड फॉरेस्ट एरिया/ग्रीन वॉश (RFA/GW) में परिवर्तन आया है।
RFA/GW के भीतर वनावरण में 330 वर्ग किमी. (0.05%) की मामूली कमी आई है।
RFA/GW के बाहर वनावरण में 4306 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है।
वनावरण में वृद्धि के मामले में शीर्ष पाँच राज्य: कर्नाटक> आंध्र प्रदेश> केरल> जम्मू-कश्मीर> हिमाचल प्रदेश।
पर्वतीय ज़िलों में वनावरण इन ज़िलों के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 40.30% है। देश के 140 पर्वतीय ज़िलों में 544 वर्ग किमी. (0.19%) की वृद्धि हुई है।
जनजातीय ज़िलों में कुल वन क्षेत्र इन ज़िलों के भौगोलिक क्षेत्र का 37.54% है।
उत्तर पूर्वी क्षेत्र में कुल वन क्षेत्र इनके भौगोलिक क्षेत्र का 65.05% है। वर्तमान आकलन में इस क्षेत्र के वनावरण में 765 वर्ग किमी. (0.45%) की कमी देखी गई है। असम और त्रिपुरा को छोड़कर, देश के सभी राज्यों के वनावरण में कमी आई है।
देश के मैंग्रोव (Mangrove) आवरण में पिछले आकलन की तुलना में 1.10% की वृद्धि हुई है।
भारत में 62,466 आर्द्रभूमियाँ देश के RFA/GW क्षेत्र के लगभग 3.83% क्षेत्र को कवर करती हैं। भारतीय राज्यों में गुजरात का सर्वाधिक आर्द्रभूमि क्षेत्र RFA के अंतर्गत आता है जबकि पश्चिम बंगाल दूसरे स्थान पर है।
वनों पर ईंधन के लिये निर्भरता महाराष्ट्र राज्य में सबसे अधिक है, जबकि चारे, लघु इमारती लकड़ी और बाँस के लिये निर्भरता मध्य प्रदेश में सबसे अधिक है।
इस रिपोर्ट के अंतर्गत यह आकलन किया गया है कि वन सीमांत ग्रामों के निवासियों द्वारा वनों से लघु इमारती लकड़ी का वार्षिक निष्कासन देश में वनों की औसत वार्षिक उपज का लगभग 7% है।
खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा प्रत्येक पाँच वर्ष पर कराए जाने वाले वैश्विक वन संसाधन आकलन (Forest Resource Assessment- FRA) के अनुसार भारत में वैश्विक वन क्षेत्रफल का 2% मौजूद है और यह वन क्षेत्र के संबंध में विश्व के शीर्ष दस देशों में 10वें स्थान पर है। 20% वैश्विक वनावरण के साथ रूस इस सूची में शीर्ष पर है।
भारत की राष्ट्रीय वन नीति, 1988 में देश के 33% भौगोलिक क्षेत्र को वन और वृक्ष आच्छादित क्षेत्र के अंतर्गत रखने के लक्ष्य की परिकल्पना की गई है।
भारत में सर्वाधिक वन क्षेत्रफल वाले राज्य: मध्य प्रदेश> अरुणाचल प्रदेश> छत्तीसगढ़> ओडिशा> महाराष्ट्र।
सर्वाधिक वनावरण प्रतिशत वाले राज्य: मिज़ोरम (85.41%)> अरुणाचल प्रदेश (79.63%)> मेघालय (76.33%)> मणिपुर (75.46%)> नगालैंड (75.41%)।
ISFR 2017 रिपोर्ट की तुलना में देश में वनावरण में 3,976 वर्ग किमी. की समग्र वृद्धि हुई है।
वनावरण में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाने वाले राज्य/केंद्रशासित प्रदेश: कर्नाटक>आंध्र प्रदेश> केरल>जम्मू-कश्मीर।
वनावरण में कमी दर्शाने वाले राज्य: मणिपुर>अरुणाचल प्रदेश>मिज़ोरम।
जनजातीय ज़िलों में वनावरण में 1,181 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।
भारत सरकार द्वारा एकीकृत जनजातीय विकास कार्यक्रम (Integrated Tribal Development Programme- ITDP) के अंतर्गत 27 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 218 जनजातीय ज़िलों को चिह्नित किया गया है।
भारतीय राज्यों में गुजरात का सर्वाधिक आर्द्रभूमि क्षेत्र RFA के अंतर्गत आता है जबकि दूसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल है। वन क्षेत्रों के अंदर आर्द्रभूमि महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों का निर्माण करती है।
छोटे राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में से पुदुचेरी का सर्वाधिक आर्द्रभूमि क्षेत्र RFA/GW के अंतर्गत शामिल है जबकि दूसरे स्थान पर अंडमान-निकोबार है।
देश में कुल 62,466 आर्द्रभूमियाँ देश के RFA/GW क्षेत्र के लगभग 3.83% क्षेत्र को कवर करती हैं।
मैंग्रोव क्षेत्र महत्त्वपूर्ण कार्बन सिंक (Carbon Sink) के रूप में भी कार्य करते हैं।
विश्व के मैंग्रोव आवरण का लगभग 40% दक्षिण-पूर्व एशिया और दक्षिण एशिया में पाया जाता है।
भारत में मैंग्रोव आवरण 4,975 वर्ग किमी. है जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 0.15% है।
वर्ष 2017 के आकलन की तुलना में मैंग्रोव आवरण में 54 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है।
राज्यों और संघशासित प्रदेशों में पश्चिम बंगाल में मैंग्रोव आवरण का उच्चतम प्रतिशत क्षेत्र मौजूद है जबकि उसके बाद गुजरात और अंडमान निकोबार द्वीप समूह का स्थान है।
मैंग्रोव आवरण में वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष तीन राज्य हैं: गुजरात> महाराष्ट्र> ओडिशा।
देश का कुल वृक्षावरण या ट्री कवर 95,027 वर्ग किमी. आकलित किया गया है।
वर्ष 2017 के आकलन की तुलना में देश में वृक्षावरण में 1,212 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है।
वृक्षावरण का राज्यवार आकलन:
अधिकतम वृक्षावरण: महाराष्ट्र> मध्य प्रदेश> राजस्थान> जम्मू और कश्मीर।
अधिकतम वृक्षावरण (भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में): चंडीगढ़> दिल्ली> केरल> गोवा।
वन क्षेत्रों के बाहर के वृक्ष (Tree Outside Forest- TOF) का राज्यवार आकलन
अधिकतम TOF: महाराष्ट्र> ओडिशा> कर्नाटक
अधिकतम TOF (भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में): केरल> गोवा> नगालैंड
भारत में कश्मीर क्षेत्र के अतिरिक्त पूरे देश में प्राकृतिक रूप से बाँस की वृद्धि हुई है। भारत 23 वंशों (genera) के लगभग 125 स्वदेशी और 11 विदेशी बाँस प्रजातियों का घर है। बाँस किसी भी क्षेत्र के सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।
देश में कुल बाँस क्षेत्र: 16.00 मिलियन हेक्टेयर।
बाँस क्षेत्र में वृद्धि: ISFR 2017 की तुलना में 0.32 मिलियन हेक्टेयर।
अधिकतम बाँस क्षेत्र वाले राज्य: मध्य प्रदेश> महाराष्ट्र> अरुणाचल प्रदेश> ओडिशा।
शुद्ध बाँस की अधिकतम उपस्थिति: महाराष्ट्र> मध्य प्रदेश> छत्तीसगढ़।
देश के वनों में कुल 7,124.6 मिलियन टन कार्बन स्टॉक होने का आकलन किया गया है। वर्ष 2017 के अंतिम आकलन की तुलना में देश के कार्बन स्टॉक में 42.6 मिलियन टन की वृद्धि हुई है।
राज्यवार अधिकतम कार्बन स्टॉक: अरुणाचल प्रदेश> मध्यप्रदेश> छत्तीसगढ़> महाराष्ट्र।
राज्यवार अधिकतम प्रति हेक्टेयर कार्बन स्टॉक: सिक्किम> अंडमान-निकोबार> जम्मू-कश्मीर> हिमाचल प्रदेश> अरुणाचल प्रदेश।
मृदा जैविक कार्बन (Soil organic carbon) वन कार्बन का सबसे बड़ा पूल है; इसके बाद अपर ग्राउंड बायोमास (AGB), बिलो ग्राउंड बायोमास (BGB), अपशिष्ट (Litter) और मृत लकड़ी (Dead wood) का योगदान है।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, लगभग 1,70,000 ग्राम वन क्षेत्रों की निकट स्थित हैं और इन्हें वन सीमांत ग्राम या फॉरेस्ट फ्रिंज विलेज (Forest Fringe Villages- FFV) कहा जाता है।
FSI द्वारा किये गए अध्ययन में वनों के निकट रहने वाले लोगों की निर्भरता का आकलन निम्नलिखित उत्पादों के संदर्भ में किया गया: ईंधन लकड़ी की मात्रा, चारे की मात्रा, लघु इमारती लकड़ी की मात्रा, बाँस की मात्रा
उपरोक्त उत्पादों के संदर्भ में वनों पर निर्भरता वाले शीर्ष 3 राज्य:
ईंधन लकड़ी: महाराष्ट्र> ओडिशा> राजस्थान
चारा: मध्य प्रदेश> महाराष्ट्र> गुजरात
लघु इमारती लकड़ी: मध्य प्रदेश> गुजरात> महाराष्ट्र
बाँस: मध्य प्रदेश> छत्तीसगढ़> गुजरात