हिमाचल सरकार ने SMC की जगह नियमित शिक्षकों की भर्ती करने के लिए हाई कोर्ट से छूट मांगी है। शिक्षा सचिव राजीव शर्मा की ओर से हाई कोर्ट को पत्र लिखा गया है। इस दौरान प्रदेश सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि शिक्षकों की रेगुलर भर्ती करना इतनी जल्दी संभव नहीं है। कारण यह कि कोर्ट ने पहले से ही EWS और BPL कोटे के मामले की वजह से भर्तियों पर रोक लगाई है।
ऐसे में सरकार रेगुलर शिक्षकों की भर्ती मामले पर अंतिम फैसला न आने तक नहीं कर सकती है। शिक्षा सचिव राजीव शर्मा ने इसकी पुष्टि की है। बता दें कि कोर्ट में ईडब्ल्यूएस व बीपीएल कोटे का मामला कोर्ट में होने की वजह से सरकारी स्कूलों में विभिन्न पदों पर शिक्षकों के 4500 पदों की भर्तियां रुकी हुई हैं। सरकार चाहती हैै की हाई कोर्ट इन पदों को भरने की मंजूरी दे और SMC के स्थान पर नए अध्यापकों की नियुक्ति के लिए समय दे।
फिलहाल सरकार ने हाई कोर्ट को लिखे गए पत्र में कहा है कि अभी इस अकादमिक सेशन को ऐसे ही चलने दिया जाए। वहीं जिन स्कूलों में एसएमसी शिक्षक पढ़ा रहे हैं, उनकी सेवाओं को भी कुछ समय के लिए जारी करने दिया जाए। इसके अलावा अगर बात करें, तो कोर्ट का फैसला आने के बाद ही यह तय होगा कि एसएमसी शिक्षकों का आठ माह से रुका वेतन जारी किया जाएगा या नहीं। बता दें कि राज्य सरकार को एसएमसी के 2626 पदों के अगेंस्ट 1541 रेगुलर शिक्षकों की भर्तियां करनी है। जनजातीय क्षेत्रों के स्कूलों की बात करें, तो वहां पर एसएमसी शिक्षक ही सालों से सेवाएं दे रहे हैं। जानकारी के अनुसार किन्नौर में 140, 100 पांगी, भरमौर में 126, 164 एसएमसी शिक्षक लाहुल- स्पीति के सरकारी स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं। यही वजह है कि सालों से सेवाएं दे रहे एसएमसी शिक्षक चाहते है कि सरकार उनके हक के बारे में भी सोचे, वहीं उनके नियमितिकरण को लेकर भी प्रपोजल सरकार तक ले जाएं। सीएम जयराम ठाकुर ने भी यह कहा था कि एसएमसी को लेकर कानूनी पेचीदगियों को देखेगी। सरकार द्वारा उसके बाद ही अगला कदम उठाया जाएगा। सरकार किस तरह से मदद कर सकेगी, इस पर विचार किया जा रहा है। फिलहाल सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के खाली चले रहे पदों के बीच यह एक और चुनौती सरकार के सामने खड़ी हो चुकी है।