ह्यूरिस्टिक पद्धत्ति के जनक कौन है– आर्म स्ट्रांग !
प्रोजेक्ट पद्धत्ति के जनक कौन है– जान डेवी ।
जीनप्याजे ने जिनेवा मे किसकी स्थापना की– लेवोरट्री स्कूल की स्थापना की जिसमें उन्होनें मनोविज्ञान के कई प्रयोग किये ।
जीनप्याजे के द्वारा रचित पुस्तक का नाम क्या है– द लैंगुवेज एण्ड थाट ऑफ द चाइल्ड। यह पुस्तक उन्होनें 1923 में लिखी थी।
जीनप्याजे ने संज्ञानात्मक विकास को ध्यान में रखते हुये बालक की कितनी अवस्था बतलाई– जीनप्याजे ने संज्ञानात्मक विकास को ध्यान में रखते हुये बालक की 4 अवस्था बतलाई । 1.संवेदी गत्यात्मक अवस्था (जन्म से 2 वर्ष तक) 2. पूर्व संक्रियात्मक अवस्था (2 से 7 वर्ष तक) 3. ठोस/मूर्त संक्रियात्मतक अवस्था (7 से 11 वर्ष तक) 4.औपचारिक संक्रियात्मंक अवस्था (11 से 18 वर्ष तक)
बच्चों में बौद्धिक विकास की चार विशिष्ट अवस्थाओं की पहचान की गई– पियाजे द्वारा ।
पियाजे ने बुद्धि को किसके प्रति समायोजन योग्यता के रूप में परिभाषित किया है- भौतिक एवं सामाजिक पर्यावरण ।
किस विद्वान ने नैतिक वृद्धि की अवस्थाओं की अवधारणा प्रस्तुत की है- कोहलबर्ग ने ।
जीनपियाजे के अनुसार कोई बच्चा किस अवस्था में अपने परिवेश की वस्तुकओं को पहचानने एवं उनमें विभेद करने लगता है– पूर्व – संक्रियात्मक अवस्था ।
व्य्गोट्स्कीं के अनुसार बच्चे् अपने साथी – समूह के सक्रिय सदस्य कब होते है– किशोरावस्था ।
फ्रॉयड के अनुसार किसी बच्चे में समाजीकरण की प्रक्रिया हेतु सर्वोतम आयु होती है– पांच वर्ष ।
बालको के नैतिक विकास को समझने के लिए जीन पियाजे ने कौन सी विधि को अपनाया– साक्षत्कार विधि बच्चे दुनिया के बारे में अपनी समझ का सृजन करते है। यह किस विद्वान का कथन है– जीन पियाजे ।
यह कथन किसका है कि ज्ञानात्मक विकास नकल पर आधारित न होकर खोज पर आधारित होता है– जीनपियाजे ।
सामाजिक अधिगम का सिद्धान्त किसने विकसित किया– बण्डूरा ने ।
व्यगोट्स्की के अनुसार किसी बालक के विकास में सबसे महत्वपूर्ण योगदान किसका होता है– समाज का ।
विकास कभी न समाप्त होने वाली प्रक्रिया है। यह विचार किससे संबंधित है– निरंतरता का सिद्धान्त ।
प्राथमिक स्तर पर एक शिक्षक में निम्न में से किसे सबसे महत्वपूर्ण विशेषता मानना चाहिए– धैर्य और दृढ़ता ।
उत्तरबाल्यवस्था में बालक भौतिक वस्तुओं के किस आवश्यक तत्व में परिवर्तन समझने लगते है– द्रव्यमान , संख्या और क्षेत्र ।
दूसरे वर्ष में अंत तक शिशु का शब्द भंडार हो जाता है– 100 शब्द ।
शर्म तथा गर्व जैसी भावना का विकास किस अवस्था में होता है– बालयवस्था ।
मैक्डूगल के अनुसार मूलप्रवृति जिज्ञासा का संबंध कौन संवेग से है– आश्चर्य ।
बाल्यावस्था अवस्था होती है– 12 वर्ष तक।
शारीरिक विकास का क्षेत्र है।– स्नायुमंडल
विवेचना रहित विचार की अवस्था मानी गई है– 4 से 7 वर्ष ।
प्राय: बालक चलना किस वर्ष में सीख लेता है– लगभग डेढ़ वर्ष में ।
शैक्षिक दृष्टि से बाल विकास की अवस्थाएँ है– किशोरवस्था , बाल्यावस्था , शैशवास्था।
बालक में सर्वप्रथम भय, क्रोध तथा प्रेम के संवेग विकसित होते है। कथन है– वाट्सन ।
प्रथम बाल निर्देशन केन्द्र किसके द्वारा खोला गया– विलियम हिली।
किसकी क्रियाशीलता का संबंध मनुष्य की पाचन क्रिया से भी होता है– अभिवृक्क ग्रंथि।
वातावरण वह बाहरी शक्ति है, जो हमें प्रभावित करती है। किसने कहा है– रॉस ।
बुद्धि परीक्षण निर्माण के जन्मदाता है– अल्फ्रेड बिने ।
ब्रिजेस के अनुसार उत्तेजना भाग है– संवेगात्मक विकास का ।
तर्क , जिज्ञासा तथा निरीक्षण शक्ति का विकास होता है। ………. की आयु पर– 11 वर्ष।
कौन सा वंशानुक्रम का नियम नहीं है– अभिप्रेरणा।
एक कारक सिद्धान्त को और किस नाम से जाना जाता है– एक कारक सिद्धान्त को राजकीय सिद्धान्त के नाम से भी जाना जाता है।
बुद्धि का सबसे पुराना सिद्धान्त कौन सा है– बुद्धि का सबसे पुराना सिद्धान्त एक कारक सिद्धान्त है।
बुद्धि का द्विकारक सिद्धान्त किसने दिया– स्पीयर मैन ने दिया ।
स्पीयर मैन कहाँ के निवासी थे– स्पीयर मैन फ्रांस के निवासी थे ।
स्पीयर मैन पहले किस विषय के प्रोफेसर थे– स्पीयर मैन पहले संख्यकी विषय के प्रोफेसर थे बाद में मनोविज्ञान के प्रोफेसर बने ।
स्पीयर मैन ने बुद्धि का सम्बन्ध किस से बताया है– स्पीयर मैन ने बुद्धि का सम्बन्ध चिन्तन से बताया है।
बालको के भाषायी विकास का क्रम क्या है– बालको के भाषायी विकास का क्रम – रोना (रूदन , क्रदन), बबलान, हावभाव
बालक किस उम्र में वाक्यों द्वारा अपनी बात को कह पाता है– 5 वर्ष की उम्र में ।
बालक सबसे पहले क्या बोलता है– व्यंजन (वह सबसे पहले मॉ शब्द बोलता है।)
बालक सबसे पहले किसकी भाषा को पहचानता है-बालक सबसे पहले अपनी मॉ की आवाज (भाषा) को पहचानता है। (इसे ही मात्रभाषा कहते है।)
कहॉ पर बालक सामाजीकरण के नियम स्वयं सीखता है– खेल के मैदान में।
जैसे – आपस मे सहयोग करना , अपने क्रोध पर सयंम करना , त्याग करना ।