आरंभिक मानव उपमहाद्वीप में बीस लाख साल पहले रहा करते थे। आज हम उन्हें शिकारी खाद्य संग्राहक के नाम से जानते हैं।
खाने के लिए वे जंगली जानवरों का शिकार करते थे मछलियां और चिड़िया पकड़ते थे फल मूल दाने पौधे पत्तियां अंडे इकट्ठा किया करते थे।
हमारे उपमहाद्वीप जैसे गर्म देशों में पेड़ पौधों की अनगणित प्रजातियाँ मिलती है।
पत्थर से बने औजार लगभग 10 हजार साल बाद बनाया गया था। और ये गुटिका “प्राकृतिक पत्थर” है।
जहाँ लोग पत्थरों से औजार बनाते थे, उन्हें उद्योग स्थल कहते हैं।
हुस्सी, कुरनूल गुफाएँ और भीमबेटका वे पुरास्थल हैं जहाँ पर आखेटक खाद्य संग्राहकों के होने के प्रमाण मिले हैं।
भीमबेटका आधुनिक मध्य प्रदेश में स्थित है।
प्राकृतिक गुफाएँ विंध्य और दक्कन के पर्वतीय इलाकों में मिलती हैं जो नर्मदा घाटी के पास है।
पुरास्थल उस स्थान को कहते हैं जहाँ औजार, बर्तन और इमारतों जैसी वस्तुओं के अवशेष मिलते है।
पाषाण उपकरणों को प्रायः दो तरीकों से बनाया जाता था, प्रथम पत्थर से पत्थर को टकराना। यानी जिस पत्थर से कोई औजार बनाना होता था, उसे एक हाथ में लिया जाता था, और दूसरे हाथ से एक पत्थर का हथौड़ी जैसा इस्तेमाल होता था।
दूसरे तरीको को दबाव शल्क तकनीक कहा जाता है। इसमें कोड को एक स्थिर सतह पर टिकाया जाता है और इस कोड पर हडी या पत्थर रखकर उस पर हथौड़ीनुमा पत्थर से शल्क निकाले जाते हैं जिससे वांछित उपकरण बनाए जाते है।
कुरनूल गुफा में राख के अवशेष मिले है।
लगभग 12000 साल पहले दुनिया की जलवायु में बड़ा बदलाव आए और गर्मी बढ़ने लगी।
आरंभिक काल को पुरापाषाण काल कहते है। यह दो शब्दों पुरा यानी “प्राचीन” और पाषाण यानी “पत्थर” से बना है।
पुरापाषाण काल बीस लाख साल पहले से 12000 साल पहले माना जाता है।
इस काल को तीन भागों में विभाजित किया गया है: आरंभिक, मध्य, एवं उत्तर पुरापाषाण युग।
मानव इतिहास की लगभग 99 प्रतिशत कहानी इसी काल के दौरान घटित हुई।
जिस काल में हमें पर्यावरणीय बदलाव मिलतें उसे मेसोलिथ यानी मध्यपाषाण युग कहते है।
इसका समय लगभग 12,000 साल से लेकर 10,000 साल पहले तक माना गया है।
इस काल के पाषाण औजार आमतौर बहुत छोटे होते थे। इन्हें “माइकोलिथ” यानी लघुपाषाण कहा जाता है। प्रायः इन औजारों हडियों या लकड़ियों के मुठे लगे हंसिया और आरी जैसे औजार मिलते थे।
नवपाषाण युग की लगभग 10,000 साल पहले से होती है।
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की गुफाओं में जंगली जानवरों का बड़ी कुशलता से सजीव चित्रण किया गया है।
भारत में पुरापाषाण युग के दौरान शुतुमुर्ग होते थे। महाराष्ट्र के पटने पुरास्थल से शुतुरमुर्ग के अंडो के अवशेष मिले है। इनके कुछ छिलकों पर चित्रकांन भी मिलते है। इन अंडों से मनके भी बनाए जाते थे।
हुँग्सी के औजार अधिकांश चूना-पत्थरों से बनाए जाते थे।
घास वाले मैदानों का विकास 12,000 साल पहले हुआ।
आरंभिक लोगों ने गुफाओं की पत्थरों पर चित्र बनाए।
मध्यपाषाण युग 12,000-10,000 साल पहले को माना जाता है।